8 हिंदी वसंत


दीवानों की हस्ती

भगवतीचरण वर्मा

हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते साथ चले।

दीवाने उन्हें कहते हैं जो हर हाल में मस्त रहते हैं। सुख या दुख का उनपर कोई गहरा प्रभाव नहीं पड़ता और वे वर्तमान काल में जीने में विश्वास करते हैं।

दीवानों की कोई हस्ती नहीं होती है, मतलब उन्हें इसका कोई घमंड नहीं होता कि वे कितने बड़े आदमी हैं, और ना ही इसका मलाल होता है कि उन्हें किसी चीज की कमी है। ऐसे लोगों को किसी स्थान विशेष या किसी व्यक्ति विशेष से ऐसा लगाव नहीं होता कि उनके बिना वे रह न सकें। ऐसे लोगों को परिवर्तन पसंद होता है। उनका मानना होता है कि जीवन में एक ही चीज स्थायी है और वह है परिवर्तन। उनके साथ हमेशा मस्ती यानि खुशी का आलम होता है और वे जहाँ भी जाते हैं गम को धूल में उड़ा देते हैं। उनकी सकारात्मक ऊर्जा के कारण दुख कोसों दूर भाग जाते हैं।

आये बनकर उल्लास अभी,
आंसू बनकर बह चले अभी
सब कहते ही रह गये अरे
तुम कैसे आये, कहाँ चले?

वे किसी जगह पर जाते हैं तो एक उल्लास की तरह सबमें जोश का संचार कर देते हैं। जब वे कहीं से जाते हैं तो आंसू की तरह जाते हैं। पीछे लोग अफसोस करते रह जाते हैं उनके चले जाने का। ऐसे लोग कहीं भी ज्यादा देर तक टिकते नहीं हैं। अंग्रेजी में एक कहावत है कि ऑल नाईस थिंग्स कम इन स्मॉल पैकेज। इसका मतलब हुआ कि हर अच्छी बात की मियाद छोटी होती है। इसलिए जब कोई अच्छी बात होती है तो लगता है कि वह बहुत थोड़े समय के लिए टिकती है। जाहिर है उसके समाप्त हो जाने से कोई भी दुखी हो जाता है।

किस ओर चले यह मत पूछो?
चलना है बस इसलिए चले
जग से उसका कुछ लिए चले
जग को अपना कुछ दिए चले

उनका काम होता है चलते रहना। दिशा कोई भी हो चलते रहने का नाम ही जिंदगी है। जो असली दीवाने होते हैं वो हमेशा संसार से कुछ लेते रहते हैं और बदले में उसे कुछ ना कुछ देते रहते हैं। उनकी जिंदगी में कभी भी कोई अर्धविराम नहीं आता है, पूर्णविराम तो बहुत दूर की बात है।

जब भी आप दुविधा में हों तो रुकना नहीं बल्कि चलते रहना चाहिए। कहते हैं कि पानी यदि ठहर जाए तो दूषित हो जाता है। हर व्यक्ति इस दुनिया से बहुत कुछ लेता है और दुनिया को कुछ न कुछ देता है। यही शाश्वत है।

दो बात कही, दो बात सुनी
कुछ हँसे और फिर कुछ रोये
छककर सुख दुख के घूंटों को
हम एक भाव से पिए चले

वे लोगों से बातों के जरिये दुख सुख बाँटते हैं और सुख और दुख दोनों के घूँट छककर और मजा लेकर पीते हैं। दीवाने भावुक होते हैं इसलिए अपनी हंसी और अपने आंसुओं को कभी नहीं रोकते हैं। ऐसे लोग खुलकर हँसते हैं और खुलकर रोते भी हैं। ऐसे लोग सुख और दुख दोनों को पूरी तरह आत्मसात करना जानते हैं।

हम भिखमंगों की दुनिया में
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले
हम एक निसानी सी उर पर
ले असफलता का भार चले

कवि कहता है कि यह दुनिया वैसे लोगों से भरी पड़ी है जिनके दिल और दिमाग तंग होते हैं। प्यार बाँटने के मामले में अधिकतर लोग भिखारी की तरह होते हैं। लेकिन दीवाने अपना प्यार खुले हाथ से लुटाते फिरते हैं। इसके बावजूद कवि को लगता है कि दीवाने अन्य लोगों में उदारता की इस भावना को भरने में असफल हो जाते हैं। इसलिए दीवाने उस असफलता को अपने दिल से लगा कर बैठते हैं।

अधिकतर लोग स्नेह बाँटने के मामले में भिखारी होते हैं। अक्सर लोग अपने चिर परिचितों के साथ तो गर्मजोशी से बातें करते हैं लेकिन अजनबियों से दूरी बनाकर रखते हैं। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अजनबियों से भी खुलकर बातें करते हैं। कई बार ट्रेन में सफर करते समय आपको ऐसे लोग मिल जायेंगे। लेकिन ऐसे लोगों से सान्निध्य के बावजूद बाकी लोग अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं ला पाते हैं।

अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहे रुकने वाले
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि जब कोई दीवाना किसी स्थान या पड़ाव से आगे निकल पड़ता है तो वह अपने सारे बंधन तोड़ देता है। फिर उसके लिए अपने और पराये का कोई मतलब नहीं रह जाता है। दीवाने यह भी मानते हैं कि जो लोग दुनियादारी के बंधन में बंधे हुए हैं वो भी खुशहाल रहें।

लेकिन ज्यादा बेफिक्र जिंदगी जीना भी सही नहीं होता है। जिन कामों में गंभीरता की जरूरत हो वहाँ गंभीर रहना चाहिए, नहीं तो ज्यादा मस्ती आपको कहीं न कहीं असफल होने के लिए बाध्य करेगी। दीवाने लोग रोजमर्रा के जीवन की असफलता को सीने से निशानी की तरह लगा लेते हैं।

उनके लिए कोई अपना या पराया नहीं होता है, और कोई बंधन नहीं होता है। ये बातें कुछ-कुछ सन्यासियों को शोभा दे सकती हैं। लेकिन यदि आप साधारण मनुष्य की तरह जीना चाहते हैं तो आपको अपना पराया अदि के मूल्य को समझना होगा।