पंचतंत्र

चतुर बिल्ली का न्याय

किसी पेड़ की कोटर में एक गौरैया रहती थी। एक बार अपने रिश्तेदार से मिलने वह दूसरे जंगल में गई। कुछ महीने तक मेहमाननवाजी का मजा लेने के बाद वह वापस आई। जब वह गौरैया वापस आई तो उसने देखा कि उसके घर पर एक खरगोश ने कब्जा जमा लिया है। उसने खरगोश से उस कोटर को खाली करने को कहा लेकिन खरगोश ने मना कर दिया।

कुछ देर तक झगड़ा करने के बाद उन दोनों ने यह फैसला लिया कि किसी ऐसे प्राणी को पकड़ा जाए जो उनका झगड़ा निबटा सके। किसी बुद्धिमान जानवर को खोजने में वे वन में भटक रहे थे। तभी उन्हें साधु के वेश में एक बिल्ली मिली। बिल्ली की पोशाक देखकर उन्हें लगा कि वह जरूर ही बुद्धिमान और सुशील बिल्ली होगी।

cat sparrow and rabbit

उन्होंने बिल्ली को पूरी कहानी बताई और न्याय करने को कहा। बिल्ली ने ऐसे ढोंग किया जैसे वाकई उनकी बात सुन रही हो। उसके बाद बिल्ली ध्यान लगाने की मुद्रा में चली गई। साथ में वह कुछ मन्त्र भी पढ़ रही थी। कुछ देर के बाद बिल्ली ने अपनी आँखें खोली और कहा, “मैंने अभी अभी भगवान से बात की है और उनसे तुम्हारे लिए एक सन्देश लाई हूँ। लेकिन भगवान का सन्देश सुनने से पहले तुम्हे नतमस्तक होकर मेरा आशीर्वाद लेना होगा।”

ऐसा सुनकर गौरैया और खरगोश बिल्ली के सामने सिर झुकाकर खड़े हो गए और सोचा कि बिल्ली कोई न कोई हल जरूर निकालेगी। लेकिन बिल्ली ने झट से दोनों को अपना निवाला बना लिया।

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि कोई अपराधी साधु के वस्त्र पहन लेने के बाद भी अपराधी ही रहता है।