8 हिंदी वसंत


क्या निराश हुआ जाए

NCERT Solution

प्रश्न 1: लेखक ने स्वीकार किया है कि उन्हें भी लोगों ने धोखा दिया है फिर भी वे निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर: जीवन में जरूरी नहीं कि हर बात आपके अनुकूल हो। अच्छाइयां और बुराइयां जीवन के सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। लेखक धोखा खाने के बाद भी निराश नहीं हुआ है। इसकी वजह है लेखक का जीवन के प्रति सकारात्मक रुख। यदि हम निरर्थक बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं तो उससे हमारी नकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा मिलता है। इससे हमारे अंदर दुख और हताशा की भावना भर जाती है। यदि हम जीवन की सार्थकताओं की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं तो इससे हमें जीवन को एक चुनौती की तरह जीने की प्रेरणा मिलती है। लेखक भी सकारात्मक मानसिकता से ओत प्रोत लग रहा है।

प्रश्न 2: लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और इमानदारी की बात बताई है। इन घटनाओं से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?

उत्तर: लेखक के जीवन की इन दो घटनाओं से इस बात की सीख मिलती है कि अभी भी कुछ लोग ऐसे बचे हुए हैं जो अच्छे आचरण का अनुसरण करते हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी कई घटनाएँ होती हैं जिसमें हम इमानदारी की झलक देख सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके साथ कभी न कभी ऐसा हुआ होगा कि किसी दुकानदार ने छुट्टे देते समय जरूरत से ज्यादा पैसे दिए हों और आपने उसे उसकी गलती का अहसास दिलाया होगा। इससे दुकानदार के मन में आपके लिए श्रद्धा के अलाव और कुछ नहीं पैदा हो सकती है।

प्रश्न 3: आजकल के बहुत सारे समाचारपत्र और समाचार चैनल दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैं। इनकी सार्थकता पर अपने विचार प्रगट कीजिए।

उत्तर: केबल चैनल के इस आधुनिक युग में स्टिंग ऑपरेशन का फैशन हो गया है। हर चैनल अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के चक्कर में स्टिंग ऑपरेशन की फिराक में रहते हैं। कई बार इससे सही अपराधी पकड़ में आते हैं। लेक्नि ज्यादातर समय निर्दोष लोगों को ही बलि का बकरा बनना पड़ता है।

अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली के एक स्कूल की अध्यापिका को किसी चैनल वाले ने बदनाम किया था। बाद में उनका आरोप गलत साबित हुआ। समस्या ये है कि लोग नकारात्मक खबर को तो बड़े चाव से पढ़ते हैं, लेकिन सकारात्मक खबर की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है। शिक्षिका की बदनामी के समाचार तो मुख्य पृष्ठ पर छपे थे लेकिन उनकी सही स्थिति की खबर अंदर के पन्नों पर कहीं गुमनामी में खो गई।

इससे समाज में उनकी इज्जत की क्या हालत हुई होगी इसकी कल्पना मात्र से मन सिहर उठता है।