जंगल बुक पार्ट 3

अजीब स्वागत

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

बलदेव जितनी तेजी से हो सकता था गाँव की ओर भागा। बीच-बीच में वह पलटकर यह देखने की कोशिश भी करता था कि कहीं मोगली किसी राक्षस में तो नहीं बदल गया। जब वह गाँव पहुँचा तो उसने सबको उस अजीबोगरीब घटना को ऐसे पेश किया जैसे कोई जबरदस्त जादू टोना हुआ हो। उसकी बात सुनकर मुखिया बड़ा गंभीर हो गया।


Jungle Scene

काम खत्म होने पर मोगली ने कहा, हमें इसे यहीं छिपा देना चाहिये और भैंसों को घर पहुँचा देना चाहिए। अकेला, इन्हें हाँकने में मेरी मदद करो।

मवेशियों का झुण्ड शाम के धुँधलके में गाँव की ओर लौट चला। जब वे गाँव के पास पहुँचे तब तक दीये जलने लगे थे। चारों ओर से घंटियाँ बजने और शंख के फूँके जाने की आवाज आ रही थी। आधे से ज्यादा गाँव गेट के पास उसका इंतजार कर रहा था। मोगली ने सोचा, “लगता है कि ये मुझे इसलिए देखने आये हैं कि मैंने शेर खान को मारा है।“ लेकिन पास पहुँचते ही उसपर तो पत्थरों की बरसात होने लगी। गाँववाले चिल्ला रहे थे, “मारो! मारो! ये काला जादू जानता है। भेड़िये का बच्चा! जंगल का शैतान! भाग जाओ, दोबारा कभी मत आना। पुजारी तुम्हें मंत्र से भेड़िया बना देगा। बलदेव, गोली मार दो इसे।“

बलदेव की दुनाली से एक गोली चलने की आवाज आई। साथ ही किसी भैंस के कराहने की आवाज आई।

गाँववाले फिर चिल्लाये, अरे बाप रे, फिर से जादू। यह तो गोलियों की दिशा भी बदल देता है। बलदेव, ये तो तुम्हारी भैंस थी।

मोगली को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पत्थरों की बरसात और तेज हो चुकी थी। मोगली सोच रहा था, ये क्या हो रहा है?

अकेला शांत बैठा था। उसने कहा, तुम्हारे ये नये संबंधी हमारे झुण्ड की तरह तो बिल्कुल भी नहीं हैं। मुझे तो लगता है कि ये तुम्हारी जान लेना चाहते हैं।

पुजारी अपने हाथ में तुलसी की डाल लेकर हिला रहा था और जोर-जोर से बोल रहा था, भाग जाओ, भेड़िये के बच्चे।

अरे नहीं, पिछली बार ऐसा मेरे साथ इसलिये हुआ कि मैं एक इंसान हूँ। इस बार ये इसलिये हो रहा है कि मैं एक भेड़िया हूँ। अकेला, चलो यहाँ से।

इस बीच मेसुआ वहाँ दौड़ती हुई आई और विलाप करने लगी, मेरे बच्चे! ये कहते हैं कि तुम जादू जानते हो जिससे तुम अपनी मर्जी से रूप बदल सकते हो। मैं नहीं मानती। लेकिन यहाँ से चले जाओ, नहीं तो ये तुम्हें मार डालेंगे। बलदेव कहता है कि तुम काला जादू करते हो, लेकिन मैं जानती हूँ कि तुमने तो नत्थू की मौत का बदला लिया है।

भीड़ में से एक साथ कई आवाजें आईं, लौट जाओ मेसुआ। लौट जाओ, नहीं तो हम तुम्हें भी नहीं छोड़ेंगे।

तभी एक पत्थर मोगली के मुँह पर आकर लगा। मोगली के मुँह से एक भयानक सी हँसी निकली और उसने कहा, लौट जाओ मेसुआ। ये इस तरह के बेसिर पैर के किस्से अक्सर उस बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर सुनाया करते हैं। मुझे खुशी है कि मैंने तुम्हारे बेटे की मौत का बदला ले लिया है। जल्दी से अंदर जाओ। मेरे मवेशी तो इनके पत्थर से भी तेज चलेंगे। अलविदा मेसुआ।

इसके बाद मोगली चिल्लाया, अकेला, इस बार तेजी से मवेशियों को लाओ।