जंगल बुक पार्ट 2

बंदरों की बैठक

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

उस पोखर में बारिश का पानी जमा था। उस छज्जे के बीचोबीच एक टूटा फूटा बैठक बना था जो सफेद संगमरमर से बना था। वह शायद वहाँ की रानी के लिए बना था तो सैंकड़ो साल पहले मर चुकी थी। उसकी गुम्बदनुमा छत अब गिर चुकी थी उसके मलबे से नीचे से वहाँ तक आने वाला रास्ता बंद था। उसी रास्ते से रानी वहाँ आती रही होगी।


Jungle Scene

उस बैठक की दीवारों पर संगमरमर की जाली बनी हुई थी जिसपर बड़ी ही सुंदर नक्काशी थी। उसपर तरह तरह के जवाहरात भी जड़े हुए थी जो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। जब ऊपर चाँद निकल आया तो उसकी रोशनी के कारण जालियों की छाया फर्श पर पड़ रही थी। ऐसा लगता था जैसे किसी हुनरमंद कारीगर ने काले रेशम से बहुत बारीक कशीदाकारी की हो।

मोगली बहुत थका हुआ और भूखा था। जब बंदरों ने उससे कहा कि वे कितने बुद्धिमान, चतुर और भले हैं और मोगली उन्हें छोड़कर जाने कि भूल कर रहा है तो मोगली से अपनी हँसी रोकी नहीं गई। मोगली ठहाके मारकर हँसने लगा।

बंदर चिल्ला रहे थे, हम महान हैं। हम आजाद हैँ। हम कमाल के हैं। इस पूरे जंगल में हम जैसा कोई नहीं। हम सब ऐसा कह रहे हैं इसलिए ये बात सच है। तुम्हें ये बात अभी पता चली है। तुम जाकर जंगल के प्राणियों से यह बात जरूर बताना ताकि उन्हें भी हमारी महानता के बारे में पता चल सके।

मोगली ने उनका विरोध नहीं किया। बारी-बारी से एक बंदर उठता था और बंदर लोगों की बड़ाई के पुल बाँधता था। बाकी बंदर सैंकड़ों की संख्या में वहाँ जमा होकर उन भाषण को सुनते थे और जोश में किलकारियाँ भरते थे। जब एक बंदर चुप होता था तो बीच में सारे बंदर एक साथ चिल्ला उठते, हम सब ऐसा कहते हैं इसलिए यह सच है।

जब कोई बंदर मोगली से इस बारे में पूछता था तो मोगली हाँ में सिर हिलाता था और अपनी आँखें मटकाता था।

उस शोर शराबे से मोगली का सिर भन्ना रहा था। वह सोच रहा था, जरूर तबाकी और सियार ने इन सब को कभी न कभी काटा होगा। तभी तो इनपर पागलपन सवार है। यही असली दीवानगी है। पता नहीं ये कभी सोते भी हैं या नहीं। लगता है एक बादल आकर चाँद को ढ़क लेगा। यदि वह बादल बड़ा हुआ तो इतना अँधेरा तो हो ही जाएगा जिससे मुझे यहाँ से भागने का मौका मिल जाए। लेकिन मेरी टाँगें अब जवाब दे रही हैं।