जंगल बुक पार्ट 3

गाँव में भेद भाव

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

मोगली को एक अजीब बात पता चली। उस गाँव में जातियों के आधार पर इंसानों में भेद किया जाता था। मोगली लाख कोशिश करता लेकिन उसे इस भेद-भाव का कारण समझ में नहीं आता था।

एक बार कुम्हार का गधा फिसल कर एक गड्ढे में जा गिरा। मोगली ने उसे गड्ढ़े से बाहर निकाला और फिर सारे बरतन उसकी पीठ पर सजाकर रख दिये। फिर वह गधा अपने कुम्हार के साथ कन्हाईबाड़ा के बाजार की ओर चला गया। लेकिन इसपर पूरे गाँव में कोहराम मच गया।


Jungle Scene

कुम्हार नीची जाति के होते हैं और गधा तो अत्यंत ही नीच माना जाता है। जब पुजारी ने मोगली को इस बात के लिये डाँट लगाई तो मोगली ने उसे यह कहकर डरा दिया कि अगली बार वह उसे गधे पर बिठा देगा। इसपर पुजारी ने मेसुआ से शिकायत की और कहा कि जितनी जल्दी हो सके मोगली को किसी काम पर लगा दे।

गाँव के मुखिया ने आदेश दिया कि अगले ही दिन से मोगली को भैंसों को लेकर चराने ले जाना होगा। इससे तो मोगली की जैसे लॉट्री निकल गई। उसे गाँव के बाहर जाने की छूट जो मिल गई थी।

गाँव के बाहर एक बरगद के नीचे एक पक्का चबूतरा था, जहाँ पर लोग अक्सर गप्पें लड़ाने के लिये इकट्ठा होते थे। उस रात मोगली भी उस चबूतरे पर चल रहे गप्प में शामिल होने गया। वह जगह एक क्लब की तरह थी जहाँ पर मुखिया, चौकीदार, और नाई भी जाया करते थे। नाई को तो गाँव की हर चटपटी खबर के बारे में पता होता था।

वहाँ पर उस गाँव का शिकारी बलदेव भी जाता था। बलदेव बूढ़ा हो चुका था, जिसकी बड़ी-बड़ी मूँछें थीं, जिसके पास एक दोनाली बंदूक थी और जो चिलम के सुट्टे लगाता था। पेड़ की डालियों पर बंदर भी आपस में बातें करते रहते थे। पेड़ के तने में एक कोटर था जिसमे एक काला नाग रहता था। लोग नाग को पवित्र मानते थे इसलिए उसे हर रात एक कटोरा दूध मिल जाता था। गाँव के बुजुर्ग उस चबूतरे पर बैठ कर गप्पें लड़ाते और हुक्के का कश लिया करते थे। वे इंसानों देवी-देवताओं और भूतों की रोचक कहानियाँ सुनाया करते थे। बलदेव जंगली जानवरों के किस्से सुनाता था।

ये कहानियाँ तब तक चलती थीं जब तक कि उन्हें सुनने वाले बच्चों की आँखें बोझिल नहीं हो जाती थी और वे सोने लगते थे। क्योंकि जंगल उस गाँव के नजदीक ही था इसलिए ज्यादातर कहानियाँ जंगली जानवरों पर आधारित होती थीं। इन कहानियों में अक्सर कोई हिरण या जंगली सूअर उनके खेत को नुकसान पहुँचा देता था या फिर कोई बाघ आकर गाँव के गेट से किसी को घसीट कर ले जाता था।

मोगली को तो जंगल के बारे में उनसे कहीं ज्यादा पता था। इसलिए उनकी ऊलजलूल बातों पर वह अपना मुँह छिपाकर हँसता था। इन बातों से बेखबर, बलदेव एक से बढ़कर एक डींगे मारा करता था। दोनाली हमेशा उसके कंधे से लटकी होती थी।