जंगल बुक पार्ट 3

इनाम का लालच

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

बाघ के पैर की खाल निकालते हुए मोगली जैसे अपने आप से बातें कर रहा था, अच्छा! तो तुम इनाम पाने के लिये इस खाल को कन्हाईबाड़ा ले जाओगे और उसमे से मुझे एक रुपया भी दोगे। लेकिन मैं सोचता हूँ कि इसकी खाल को अपने पास ही रख लूँ। अरे बुढ़ऊ, जाओ इसकी मूँछों से ही अपना मन बहलाओ।


Jungle Scene

गाँव के शिकारी से बात करने की यही तमीज होती है? अरे तुम्हारी किस्मत और भैंसों की नादानी के कारण यह बाघ मारा गया है। शुक्र मनाओ कि बाघ का पेट भरा हुआ था, नहीं तो अब तक तो वह मीलों दूर चला गया होता। तुम तो एक अनाड़ी की तरह इसकी खाल को निकाल रहे हो और मुझसे; यानि बलदेव से कह रहे हो की मूँछें लेकर ही खुश हो जाए। अब तो मैं तुझे एक कौड़ी भी नहीं दूँगा, मारूँगा सो अलग। इसे चुपचाप छोड़ दो। बलदेव गुस्से से आग बबूला हो रहा था।

मोगली का सिर भन्ना रहा था, उस भैंसे की कसम जिसने मुझे खरीदा था। मेरे पास इतनी फुरसत नहीं कि तुम जैसे गँवार के साथ अपना समय जाया करूँ। अकेला, देखो यह आदमी मुझे परेशान कर रहा है।

पलक झपकते ही जो बलदेव शेर खान के सिर के पास सीना तान कर खड़ा था अब चारों खाने चित पड़ा था। उसके ऊपर एक बड़ा ही भयानक भेड़िया चढ़ा हुआ था। मोगली तो खाल निकालने में ऐसे मस्त था जैसे वहाँ पर कुछ हुआ ही न हो।

मोगली बड़बड़ा रहा था, तुम ठीक ही कह रहे हो बलदेव। तुम मुझे एक कौड़ी भी मत देना। दरअसल मेरे और इस लंगड़े बाघ की यह पुरानी लड़ाई थी; जिसे आज मैंने जीत ही लिया।

बलदेव यदि दस साल कम उम्र का होता तो शायद उस भेड़िये से भिड़ जाता। उसने पहले भी भेड़ियों का शिकार किया था। लेकिन अकेला जैसा भेड़िया जो एक ऐसे लड़के का आदेश मान रहा था जो एक आदमखोर बाघ पर विजय प्राप्त कर चुका हो, कोई साधारण भेड़िया नहीं था। बलदेव को लगा कि जरूर वहाँ पर कुछ जादू टोना चल रहा था। उसने लपक कर अपनी ताबीज को छू लिया; इस उम्मीद में कि उसे कोई हानि न पहुँचे। वह चुपचाप लेटा रहा। उसे ये डर भी सता रहा था कि मोगली कहीं किसी बाघ में न बदल जाये।

आखिरकार बलदेव ने दबी जुबान में कहा, महाराज! मेरे आका।

मोगली मन ही मन खुश होता हुआ; सिर घुमाए बिना बोला, बोलो।

मैं एक बूढ़ा आदमी हूँ। मुझे नहीं पता था कि आप कोई आम चरवाहा नहीं हैं बल्कि एक अदभुत इंसान हैं। हो सके तो मुझे यहाँ से जाने की अनुमति दीजिए या फिर अपने चेलों से कहिए की मेरे टुकड़े-टुकड़े कर दें। बलदेव रोते हुए बोला।

तुम जा सकते हो लेकिन पीछे मुड़कर मत देखना। आगे से मेरे काम में दखल नहीं देना। अकेला, उसे जाने दो मोगली ने कहा।