जंगल बुक पार्ट 1

मोगली का बचपन

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

सियोनी की पहाड़ियों पर शाम की गर्म धूप पड़़ रही थी। भेड़ियों का पिता दिन भर सोने का बाद उठा था। उसने अपने शरीर को खुजलाया, एक लम्बी सी जम्भाई ली और अपने पंजों से नींद भगाने के लिए बारी बारी से उन्हें पूरी तरह से फैलाया। भेड़ियों की माँ अपने चार छोटे-छोटे कुनमुनाते हुए बच्चों को बड़े प्यार से निहार रही थी। चाँद की रोशनी से उनकी गुफा का मुँह चमक रहा था। भेड़ियों का पिता बड़बड़ाया, “ओह! फिर से शिकार पर जाने का वक्त आ गया”। वह जैसे ही ढलान की ओर चलने लगा तभी एक झबरैले दुम वाले छोटे से जानवर ने उसका रास्ता काटा और बड़बड़ाया, हे भेड़ियों के सरदार, तुम्हारा दिन अच्छा बीते। तुम्हारे बच्चों के मजबूत और पैने दाँत हों ताकि उन्हे इस संसार मे कभी भी भूखे ना रहना पड़े।


Jungle Scene

यह और कोई नहीं बल्कि तबाकी, जूठन चाटने वाला सियार था। भारत के भेड़िये उससे घृणा करते थे क्योंकि वह हमेशा ऊल-जलूल हरकतें करता था, बेसिर पैर की बातें करता था, और गाँव के कबाड़ से कचरा खाता था। साथ मे वे उससे डरते भी थे, क्योंकि तबाकी पर अक्सर पागलपन का दौरा पड़ता था और तब वह पूरे जंगल में आतंक मचा देता था। तबाकी के पागल हो जाने पर बाघ भी उससे डरकर छिप जाता था। ऐसा माना जाता था कि किसी भी जंगली जानवर के लिए पागलपन से बुरी बात हो ही नहीं सकती थी। हम इंसान इसे हाइड्रोफोबिया कहते हैं लेकिन जानवर इसे दीवानगी कहते हैं।

भेड़ियों के पिता ने अनमने भाव से कहा, जाओ अंदर जाकर देख लो, तुम्हें शायद ही कुछ खाने को मिले।

तबाकी ने जवाब दिया, हो सकता है कि एक भेड़िये के लिए कुछ भी न हो, लेकिन मेरे जैसे नीच प्राणी के लिए एक सूखी हड्डी भी किसी भोज से कम नहीं। अरे हम गीदड़ कौन होते हैं अधिक की इच्छा रखने वाले ? वह झपट के गुफा के पीछे गया जहाँ उसे एक हिरण की हड्डी मिली जिसपर थोड़ा सा मांस लगा था। वह वहीं बैठकर हड्डी को चटखाने का मजा लेने लगा।

वह अपना मुँह चाटते हुए बोला, बढिया खाने के लिए शुक्रिया। तुम्हारे बच्चे कितने सुंदर हैं। देखो तो उनकी आंखें कितनी बड़ी-बड़ी हैं। इतनी कम उम्र में भी ये कितने रौबदार लगते हैं। किसी ने सही कहा है कि राजा के बच्चे शुरु से ही शक्तिशाली लगते हैं।

अपने बच्चों की बड़ाई सुनकर भेडिए के माँ-बाप जरा भी खुश नहीं हुए बल्कि बेचैन लग रहे थे। तबाकी को पता था किसी भी माँ-बाप को हमेशा ये डर सताता है कि कहीं उनके बच्चे को नजर न लग जाए।

तबाकी मन ही मन अपनी शरारत पर खुश हुआ जा रहा था और ऊपर से शांत दिखने का ढोंग कर रहा था। फिर उसने व्यंग से कहा, तुम्हे पता है? शेर खान ने शिकार की जगह बदल दी है। अगली पूरनमासी तक वह इन्हीं पहाड़ियों में शिकार करेगा। जरा सम्भल कर रहना।