जंगल बुक पार्ट 3

शेर खान का अंत

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

अकेला! जल्दी करो। इन्हें फिर से अलग करो, नहीं तो ये आपस में ही लड़ने लगेंगे। जल्दी अकेला, जल्दी! रामा! मेरे दोस्त! आराम से। बस हो ही गया समझो।

अकेला और मोगली का बड़ा भैया आगे पीछे दौड़कर भैंसों के पाँवों में हल्के से दाँत गड़ाने लगे। इससे थोड़ी हे देर में वह झुण्ड फिर से नदी की ओर लौट गया। इस बीच मोगली फिर से रामा को वापस मोड़ने में सफल हो गया और बाकी मवेशी उसके पीछे हो लिए।


Jungle Scene

उस भगदड़ से शेर खान के प्राण पखेरू उड़ गये। दावत की उम्मीद से ऊपर चीलें भी मंडराने लगीं।

मोगली ने कहा, यह तो कुत्ते की मौत मारा गया। उसने अपने गले में लटके म्यान से चाकू निकालने की कोशिश की। जबसे वह इंसानों के संग रहने लगा था, तब से अपने साथ एक चाकू रखने लगा था। मोगली फिर बोला, इसने तो जरा भी हिम्मत नहीं दिखाई। कायर कहीं का। हमें जल्दी से अपना काम पूरा करना होगा। इसकी खाल सभा वाली शिला पर कितनी जँचेगी!

यदि इंसानों में पला बढ़ा कोई बच्चा होता तो एक दस फीट के बाघ की खाल निकालने में उसकी जिंदगी बीत जाती। लेकिन मोगली को तो जानवरों की खालों के बारे में बहुत कुछ पता था। उसे अच्छी तरह से मालूम था कि किसी जानवर की खाल कैसे निकालते हैं। लेकिन यह आसान नहीं था। मोगली घंटे भर तक चीड़ फाड़ करता रहा। इस बीच उसके साथी भेड़िये लालच भरी दृष्टि से जीभ लपलपा रहे थे। कभी-कभी मोगली के कहने पर वे खाल खींचने में उसकी मदद भी कर रहे थे।

तभी मोगली को अपने कँधों पर किसी के हाथ का स्पर्श हुआ। उसने ऊपर देखा तो पाया कि यह और कोई नहीं बल्कि बलदेव था। उसके कँधे पर दुनाली बंदूक लटकी हुई थी। बच्चों ने गाँव में जाकर मवेशियों के भगदड़ के बारे में बताया था। यह सुनकर बलदेव गुस्से में मोगली को सबक सिखाने के खयाल से आया था। जैसे ही मोगली के भेड़िये दोस्तों ने इंसानों को आते देखा, वे वहाँ से ओझल हो गये।

बलदेव ने गुस्से में कहा, तुम क्या सोचते हो कि तुम इस बाघ की खाल निकाल लोगे? भैंसों ने ही उसे मारा होगा। अरे ये तो वही लंगड़ा बाघ है जिसपर सरकार ने सौ रुपये का इनाम रखा है। चलो कोई बात नहीं है। हम तुम्हें भैंसों को भड़काने के लिये माफ कर देंगे और उस इनाम में से एक रुपया तुम्हें दे देंगे। मैं इसकी खाल को लेकर खुद कन्हाईबाड़ा जाऊँगा। कहते कहते वह अपनी जेब से चाकू छुरी निकालने लगा और झुककर शेर खान की मूँछें खींचने लगा। वहाँ के अधिकतर शिकारियों की ये आदत होती है कि वे बाघ के मूँछ को जरूर खींचते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे बाघ का भूत उन्हें परेशान नहीं करता है।