क्लास 5 हिंदी

वे दिन भी क्या दिन थे

यह कहानी आइजक असीमोव ने लिखी है।

इस कहानी में आज से लगभग 150 साल आगे के समय के बारे में कल्पना की गई है। साल 2155 चल रहा है। घर में किसी जगह दो बच्चों को एक किताब मिल जाती है। इसके पहले उन बच्चों ने किताब जैसी कोई चीज नहीं देखी है। कंप्यूटर और टेलीविजन स्क्रीन से पढ़ने के आदी बच्चों के लिए यह विश्वास करना मुश्किल होता है कि भला कागज पर लिखी किताबों से कोई कैसे पढ़ सकता है।

इन बच्चों के शिक्षक होते हैं मशीन। ऐसी मशीनें हर बच्चे की रुचि और स्तर के हिसाब से लेसन तैयार करते हैं और उसे पढ़ाते हैं। ऐसे में इन बच्चों को समझ नहीं आता कि कैसे एक ही शिक्षक एक साथ अनेक बच्चों को पढ़ा सकता है

सोचो

प्रश्न 1: कुम्मी के हाथ जो किताब आई थी वह कब छपी होगी?

उत्तर: वह किताब हो सकता है 2002 या 2020 मे छपी होगी।

प्रश्न 2: रोहित ने कहा था, “कितनी पुस्तकें बेकार जाती होंगी। एक बार पढ़ीं और फिर बेकार हो गई।“ क्या सचमुच में ऐसा होता है?

उत्तर: ऐसा अक्सर होता है। जब मैं एक क्लास पास कर लेता हूँ तो मेरी सारी किताबें बेकार हो जाती हैं। कुछ किताबें, जैसे कि उपन्यास और शब्दकोश बार बार पढ़ी जाती हैं।

प्रश्न 3: कागज के पन्नों की किताब और टेलीविजन के पर्दे पर चलने वाली किताब। तुम इनमें से किसको पसंद करोगे? क्यों?

उत्तर: मुझे टेलीविजन के पर्दे पर चलने वाली किताबें अधिक पसंद हैं। उन किताबों को रखने के लिए आलमारी नहीं बनानी पड़ती है। एक छोटे से पेन ड्राइव में हजारों किताबें आ सकती हैं।

प्रश्न 4: तुम कागज पर छपी किताबों से पढ़ते हो। पता करो कि कागज से पहले की छपाई किस किस चीज पर हुआ करती थी?

उत्तर: कागज से पहले छपाई चमड़े पर होता था। उसके पहले ताड़ के पत्तों, ताँबे की चादरों और पत्थरों पर लिखा जाता था।

प्रश्न 5: तुम मशीन की मदद से पढ़ना चाहोगे या अध्यापक की मदद से? दोनों के पढ़ाने में किस किस तरह की सरलता और कठिनाइयाँ हैं?

उत्तर: मैं अध्यापक की मदद से पढ़ना बेहतर समझता हूँ। मशीन से पढ़ने में लगता है कि सामने कोई बेजान चीज है। अध्यापक से पढ़ने में भावनाओं का भी इस्तेमाल होता है। शायद इसलिए हम अध्यापकों का सम्मान भी करते हैं।

वे दिन भी क्या दिन थे

बीते दिनों की प्रशंसा में कही जाने वाली यह बात तुमने कभी किसी से सुनी है? अपने बीते दिनों के बारे में सोचो और बताओ कि उनमें से किस समय के बारे में तुम (वे दिन भी क्या दिन थे‌) कहना चाहोगे?

उत्तर: यह बात मैंने अपने बड़े बुजुर्गों से कई बार सुनी है। मुझे भी अपने पुराने दिन याद आते हैं जब मुझे स्कूल नहीं जाना पड़ता था। तब सारा दिन खेल कूद और शरारत करने की छूट होती थी। कोई भी होमवर्क के लिए नहीं पूछता था।

कल आज और कल

प्रश्न 1: 1967 में छपी इस कहानी में कल्पना की गई है कि सालों बाद स्कूल की जगह मशीनें ले लेंगी। तुम भी कल्पना करो कि बहुत सालों बाद ये चीजें कैसी होंगी: पेन, घड़ी, टेलीफोन/मोबाइल, टेलीविजन

उत्तर: बहुत सालों बाद हो सकता है कि पेन जैसी चीज की जरूरत ही न पड़े। हाँ डिजिटल पेन से हम कंप्यूटर स्क्रीन पर लिख सकते हैं। घड़ियाँ तो अभी से गायब होने लगी हैं, क्योंकि अधिकतर लोग अपने मोबाइल फोन से ही समय का पता लगा लेते हैं। भविष्य में मोबाइल फोन कागज की तरह पतले हो जाएँगे जिन्हें मोड़ मार कर जेब में रखा जा सकेगा। टेलीविजन स्क्रीन किसी कैलेंडर की तरह पतला हो जाएगा जिसे जरूरत के हिसाब से बड़ा छोटा किया जा सकेगा।

प्रश्न 2: नीचे कुछ वस्तुओं के नाम दिए गए हैं। बड़ों से पूछकर पता करो कि बीस साल पहले इनकी क्या कीमत थी और अब इनका कितना दाम है?

आलू, लड्डू शक्कर, दाल, चावल, दूध

उत्तर:

वस्तु20 साल पहले कीमतआज की कीमत
आलू5 रु प्रति किलो30 रु प्रति किलो
लड्डू50 रु प्रति किलो400 रु प्रति किलो
शक्कर15 रु प्रति किलो50 रु प्रति किलो
दाल20 रु प्रति किलो180 रु प्रति किलो
चावल15 रु प्रति किलो100 रु प्रति किलो
दूध10 रु प्रति लीटर55 रु प्रति लीटर

प्रश्न 3: आज हमारे कई काम कंप्यूटर की मदद से होते हैं। सोचो और लिखो कि अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में हम कंप्यूटर का इस्तेमाल किन किन उद्देश्यों के लिए करते हैं?

उत्तर: व्यक्तिगत काम: पढ़ना, होमवर्क बनाना, कोडिंग सीखना

सार्वजनिक काम: ग्रुप के लिए कुछ पोस्ट करना, समाचार पढ़ना, रिजल्ट देखना, किसी कोर्स के बारे में पता करना


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