9 हिंदी क्षितिज


चाँद गहना से लौटती बेर

NCERT Solution

Question 1: ‘इस विजन में .......अधिक है’: पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?

उत्तर: शहर की भीड़भाड़ वाली जिंदगी में लोगों में आपसी प्रेम का सख्त अभाव हो गया है। जिसे देखो वही अपने स्वार्थ को पूरा करने की भाग दौड़ में लगा हुआ है। लेकिन कवि इस निर्जन जगह पर खड़ा है, वहाँ पर प्रेम का कोई अभाव नहीं है, बल्कि प्रेम प्रचुर मात्रा में हर ओर व्याप्त है।

Question 2: सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?

उत्तर: जब सरसों के पौधे पर पीले फूल खिल जाते हैं तो वह इस अवस्था में आ जाते हैं कि नये बीजों का सृजन कर सकें। इसलिए कवि ने सरसों को सयानी कहा है। कवि के अनुसार, जिस तरह कोई कन्या पीले वस्त्र पहनकर दुल्हन बनने की तैयारी करती है उसी तरह सरसों ने भी पीले वस्त्र पहन लिये हैं और दुल्हन की तरह लग रही है। इसलिए कवि ने सरसों को सयानी कहा है।

Question 3: अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: अलसी ऐसे लग रही है जैसे चने की बगल में हठ कर के खड़ी हो गई हो। अपनी कामिनी काया और लचीली कमर के साथ उसने बालों में नीले फूल लगा रखे हैं। जैसे ये कह रही हो कि जो भी उस फूल को छुएगा उसे ही उसका दिल मिलेगा।

Question 4: अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर: अलसी के पौधे अक्सर चने के पौधों के साथ या तो अपने आप उग जाते हैं या फिर उनके बीज बोने के कारण। अलसी का पौधा चने के पौधे के साथ लगभग चिपककर खड़ा है, इसलिए कवि ने अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग किया है।

Question 5: ‘चाँदी का बड़ा सा गोल खंभा’ में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है?

उत्तर: पोखर के बीच में प्राय: लकड़ी का एक मोटा सा खम्भा होता है। कुछ जगह पर इसे जाट कहा जाता है। इससे पोखर में पानी की गहराई का पता चलता है। इसकी तुलना चांदी के एक बड़े से खम्भे से की गई है जिससे आँखें चौंधिया जाती हैं। इन पंक्तियों से पता चलता है कि कवि को किसी स्थूल वस्तु में भी सौंदर्य तलाशने में महारत हासिल है। कोई कलाकार ही लकड़ी के मोटे से खम्भे; जिसमें काई लगी हो और जो पानी से सड़ रहा हो; को किसी चमकीली वस्तु की तरह देख सकता है।