क्षितिज क्लास 10 हिंदी


छाया मत छूना

गिरिजाकुमार माथुर

NCERT Exercise

प्रश्न 1: कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

उत्तर: कवि का मानना है कि जो बीत गया उसके बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता है। बीता हुआ पल यदि अच्छा हो तो कई लोग उसकी खुशनुमा यादों में अपना समय बरबाद करते हैं। बीता हुआ पल यदि बुरा हो तो कई लोग उसके बारे में सोच-सोच कर अपना समय बरबाद करते हैं। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता। उसके बदले यदि हम अपने वर्तमान की तरफ ध्यान दें तो हमारा आज भी ठीक रहेगा और आने वाला कल भी ठीक हो सकता है।

प्रश्न 2: भाव स्पष्ट कीजिए:
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

उत्तर: अपने भूतकाल की कीर्तियों पर किसी बड़प्पन का अहसास किसी मृगमरीचिका की तरह है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर चाँद के पीछे एक काली रात छिपी होती है। इसलिए भूतकाल को भूलकर हमें अपने वर्तमान की ओर ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 3: ‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?

उत्तर: ‘छाया’ शब्द यहाँ पर भूतकाल के लिए प्रयुक्त हुआ है। जिस तरह से छाया को छूने या पकड़ने की कोशिश हमेशा व्यर्थ जाती है उसी तरह से भूतकाल को पकड़ने या छूने की कोशिस बेकार जाती है; क्योंकि दोनों ही मिथ्या हैं।

प्रश्न 4: कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?

उत्तर: ऐसे शब्दों के उदाहरण हैं; शरण-बिंब, दुविधा हत साहस। शरण के साथ यहाँ पर बिंब का प्रयोग विशेषण के रुप में हुआ है। यहाँ पर कवि ने बड़प्पन के अहसास को मृगतृष्णा माना है इसलिए बिंब शब्द का प्रयोग किया है। साहस जब दुविधा से प्रभावित हो तो आदमी सही मार्ग का चयन करने में असमर्थ हो जाता है।

प्रश्न 5: ‘मृगतृष्णा किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?

उत्तर: मृगतृष्णा प्रकाश से बनने वाली एक प्राकृतिक घटना है; जिसके कारण किसी को झूठमूठ में पानी दिखाई देता है। ऐसा अकसर तपती दोपहरी में रेगिस्तान में होता है। किसी प्यासे पथिक को लगता है कि दूर कहीं एक नखलिस्तान है। लेकिन जब वह दौड़कर पास जाता है तो वहाँ पर रेत के सिवा कुछ भी नहीं पाता है। इस कविता में कवि ने मृगतृष्णा का प्रयोग उस बड़प्पन के अहसास के लिए किया जो हम अक्सर अपनी उन उपलब्धियों पर करते हैं जो हमें भूतकाल में मिली थीं।

प्रश्न 6: ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले; यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?

उत्तर: यह भाव निम्न पंक्ति में झलकता है, ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।‘

प्रश्न 7: कविता में व्यक्त दुखों के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हम यदि बीती हुई बातों को पकड़कर रखने की कोशिश करते हैं तो इससे हमें दुख ही होता है। यदि हम बीती हुई बुरी बातों को पकड़ते हैं तो इससे हम वर्तमान की खुशियों का आनंद नहीं ले पाते हैं। यदि हम बीती हुई अच्छी बातों को पकड़ते हैं तो इससे हम वर्तमान की खुशियों को कम आँकते हैं। दोनों ही स्थितियों में हमारा दुख बढ़ ही जाता है।

प्रश्न 8: ‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’, से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?

उत्तर: हर किसी के जीवन में कई मधुर स्मृतियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए मैं उस दिन को हमेशा याद करता हूँ जब मुझे अपने स्कूल के सालाना जलसे पर वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला था। मैं पिछले साल की गरमी की छुट्टियों में अपने शिमला ट्रिप को भी याद करके खुश हो लेता हूँ।

प्रश्न 9: ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर: एक कहावत है कि देर है पर अंधेर नहीं। इसी तरह कई बार कोई बात समय रहते नहीं बन पाती है तो हमें बहुत अफसोस होता है। लेकिन यदि और अधिक प्रयास के बाद हम वही लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो हमें इसकी खुशी अवश्य होती है। जैसे कई छात्र पहली कोशिश में इंजीनियरिंग के एडमिशन टेस्ट में पास नहीं हो पाते लेकिन अगले साल उन्हें सफलता मिल ही जाती है। हर हाल में सफलता का आनंद ही कुछ और होता है।