स्पर्श 10 हिंदी


मीरा

पद

NCERT अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

प्रश्न 1: पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?

उत्तर: पहले पद में मीरा ने हरि को याद दिलाया है कि कैसे उन्होंने अपने कई भक्तों की मदद की थी। मीरा ने द्रौपदी, प्रह्लाद और ऐरावत के उदाहरण देते हुए हरि से विनती की है कि वे मीरा के दुख को भी दूर करें।

प्रश्न 2: दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मीराबाई कृष्ण के दर्शन करने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती हैं। वे चाहती हैं कि दिन रात श्याम उनके सामने ही रहें। इसलिए मीराबाई श्याम की नौकरी करना चाहती हैं ताकि उन्हें श्याम को बार-बार देखने का मौका मिले।

प्रश्न 3: मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?

उत्तर: कृष्ण के उस रूप का वर्णन मीरा ने किया है जो जग जाहिर है। कृष्ण के पीले वस्त्र, मोर का मुकुट और गले में वैजयंती माला बहुत सुंदर लगती है। कृष्ण जब वृंदावन में इस रूप में गाय चराते हैं तो उनका रूप मोहने वाला होता है।

प्रश्न 4: मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: मीराबाई की भाषा में राजस्थान की बोली का पुट है क्योंकि वे राजस्थान की थीं। उन्होंने सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त होने वाले शब्दों का प्रयोग किया है। मीरा के पद को आसानी से संगीतबद्ध किया जा सकता है। उनकी सरल शब्दावली के कारण मीरा के पद आसानी से लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं।

प्रश्न 5: वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?

उत्तर: वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। यहाँ तक कि वे कृष्ण के यहाँ दासी बनने को भी तैयार हैं।

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1: हरि आप हरो जन री भीर।
द्रौपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि धरयो आप सरीर।

उत्तर: इन पंक्तियों में भगवान के महात्म्य का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हर किसी के दुख को दूर करते हैं। जब द्रौपदी पर गहरा संकट आया था, उनकी लाज पर खतरा था तब भगवान ने उन्हें कभी न खत्म होने वाली साड़ी प्रदान करके उनकी लाज बचाई थी। भगवान अपने भक्तों के दुख दूर करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। प्रह्लाद की जान बचाने के लिए तो भगवान ने नरसिंह का शरीर धारण कर लिया था।

प्रश्न 2: बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

उत्तर: इन पंक्तियों में मीरा ने उस घटना का उल्लेख किया है जब ऐरावत एक मगरमच्छ के चंगुल में फँस गया था। भगवान ने समय पर आकर ऐरावत की जान बचाई थी। मीरा चाहती हैं कि उसी तरह से भगवान आकर उनके दुख को भी दूर करें।

प्रश्न 3: चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

उत्तर: इन पंक्तियों में भक्त की उस भावना का वर्णन है जब उसके मन में कोई भी छल कपट नहीं है बल्कि एक सीधी सी योजना है अपने आराध्य के दर्शण करने की। मीरा बताती हैं कि भगवान के यहाँ नौकरी करने से उन्हें क्या क्या लाभ मिलने वाले हैं। भगवान की नौकरी करते करते उन्हें मुफ्त में ही भगवान के दर्शण होंगे। भगवान के सुमिरन का मौका तो जैसे जेब खर्च के समान होगा। और इन सबके कारण जो भक्ति उन्हें प्राप्त होगी वह तो उनके लिए किसी भी जागीर से कम नहीं होगी।