10 नागरिक शास्त्र


लोकतंत्र की चुनौतियाँ

चुनौती का मतलब: वैसी समस्या को चुनौती कहते हैं जो महत्वपूर्ण हो, जिससे पार पाया जा सके और जिसमें आगे बढ़ने के अवसर छुपे हों।

लोकतंत्र की मुख्य चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:

  • आधार तैयार करने की चुनौती
  • विस्तार की चुनौती
  • लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करना

आधार तैयार करने की चुनौती

आज भी विश्व के एक चौथाई हिस्से में लोकतंत्र नहीं है। इन इलाकों में आधार तैयार करना ही लोकतंत्र की चुनौती है। इन देशों से तानाशाही को हटाने की जरूरत है और वहाँ की सरकार पर से सेना के नियंत्रन को दूर करने की चुनौती है। इसे समझने के लिए नेपाल का उदाहरण लेते हैं। नेपाल में हाल हाल तक राजतंत्र हुआ करता था। लोगों के वर्षों लंबे आंदोलन के बाद नेपाल में लोकतांत्रिक सरकार ने राजतंत्र को हटा दिया। अभी नया होने के कारण नेपाल में लोकतंत्र का आधार बनाने की चुनौती है।

विस्तार की चुनौती

लोकतंत्र के विस्तार का मतलब होता है देश के हर क्षेत्र में लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों को लागू करना और लोकतंत्र के प्रभाव को समाज के हर वर्ग और देश की हर संस्था तक पहुँचाना। लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के कई उदाहरण हैं, जैसे कि कि स्थानीय स्वशाषी निकायों को अधिक शक्ति प्रदान करना, संघ के हर इकाई को संघवाद के प्रभाव में लाना, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा से जोड़ना, आदि।

लोकतंत्र के विस्तार का एक और अर्थ है ऐसे फैसलों की संख्या कम करना जिन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हटकर लेना पड़े।

लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करना

यह चुनौती हर लोकतंत्र के सामने आती है। लोकतंत्र की प्रक्रियाओं और संस्थानों को मजबूत करने से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं। इससे लोगों को लोकतंत्र से अपनी अपेक्षाओं के बारे में सही सही पता चलता है। अलग-अलग समाज में लोगों की लोकतंत्र से अलग-अलग अपेक्षाएँ होती हैं।

अस्सी के दशक तक भारत में जब चुनाव होते थे तो बूथ लूटने और फर्जी मतदान करने की घटना आम बात होती थी। नब्बे के दशक की शुरुआत में टी एन शेषण को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया। टी एन शेषण ने कई ऐसे कदम उठाए जिनसे राजनीतिक दलों में अनुशासन आया। उसके बाद बूथ लूटने की घटनाएँ लगभग नगण्य हो गई। उसके बाद से लोगों का चुनाव आयोग पर विश्वास बढ़ गया।

अलग-अलग देशों में लोकतंत्र की अलग-अलग चुनौतियँ होती हैं। कोई भी देश किस तरह की चुनौती का सामना करता है यह इस पर निर्भर करता है कि वह देश लोकतांत्रिक विकास के किस चरण पर है।