भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
NCERT Abhyas
Part 2
प्रश्न 8: क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई नजरिये से उपयोगी है। इस विभाजन से अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार को समाज कल्याण के कार्यक्रम बनाने में मदद मिलती है। सरकार विभिन्न सेक्टरों में जरूरी सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
प्रश्न 9: इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर: जीडीपी किसी थर्मामीटर की तरह काम करता है जिससे डॉक्टर को मरीज की अन्य तकलीफों का अनुमान लगता है। जीडीपी ऐसे रेफरेंस की तरह काम करता है जिसे आसानी से समझा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था की सेहत का मोटा अनुमान मिल जाता है। रोजगार के आंकड़े से अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए इस अध्याय में प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और जीडीपी पर केंद्रित किया गया है।
प्रश्न 10: जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्राइमरी सेक्टर | किसान, दूधवाला, मछली वाला, आदि |
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सेकंडरी सेक्टर | फैक्ट्री में काम करने वाला इंजीनियर और फोरमैन |
टरशियरी सेक्टर | चार्टर्ड एकाउंटेंट, बैंकर, शिक्षक, डॉक्टर, आदि |
प्रश्न 11: तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक सेक्टर | अन्य सेक्टर |
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किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है। | भौतिक वस्तु का निर्माण होता है। |
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। | मशीन की जरूरत पड़ती है। |
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है। | इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है। |
उदाहरण: डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील, आदि। | उदाहरण: मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, आदि। |
प्रश्न 12: प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर: जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर विकल्प नहीं होता है।
मान लीजिए कि एक किसान के पास दस बीघा जमीन है और उस किसान के चार बेटे हैं। इतनी जमीन से केवल एक ही बेटे के परिवार का भरण-पोषण हो सकता है। बाकी तीन बेटे भी उसी खेत पर इसलिए काम करते रहते हैं कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं होता है। छुपी हुई बेरोजगारी के इस उदाहरण को आप अक्सर गांवों में देख सकते हैं।
मान लीजिए कि एक बनिये की किसी शहर में किराने की दुकान है। उस दुकान से इतनी आमदनी हो जाती है कि बनिये के एक बेटे के परिवार का भरण-पोषण हो सके। लेकिन बनिये के बाकी तीन बेटे भी उसी दुकान पर काम करते हैं क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।
प्रश्न 13: खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर: जब किसी आदमी के पास कोई काम नहीं होता है तो इसे बेरोजगारी कहते हैं। जब कोई आदमी काम तो कर रहा होता है लेकिन अपनी क्षमता का सदुपयोग नहीं कर पाता है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। लेकिन जब किसी आदमी को काम बिल्कुल भी नहीं मिलता तो इसे खुली बेरोजगारी कहते हैं।
प्रश्न 14: “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।“ क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: यह कथन कुछ हद तक सही है। इस पाठ में 1973 से 2000 तक के आंकड़े को देखने से पता चलता है कि तृतीयक सेक्टर का जीडीपी में शेअर तेजी से बढ़ा है। यानि तृतीयक सेक्टर ने अर्थव्यवस्था के विकास में अपना योगदान दिया है। लेकिन इस सेक्टर में रोजगार के अवसरों का सृजन उतनी तेजी से नहीं हो पाया है। इस मामले में तृतीयक सेक्टर का योगदान सही नहीं रहा है।
प्रश्न 15: “भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करते हैं।“ ये लोग कौन हैं?
उत्तर: सर्विस सेक्टर में दो प्रकार के श्रमिक काम करते हैं: नियमित और अनियमित। नियमित श्रमिकों में वैसे लोग होते हैं जो अपने हुनर और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग करते हैं तो सीधे रूप से नियोजित होते हैं। अनियमित श्रमिकों में अक्सर ऐसे काम करने वाले होते हैं जिनमें मानसिक क्षमताओं की खास भूमिका नहीं होती है। कुछ अंशकालीन रूप से नियोजित श्रमिक भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में आते हैं।
उदाहरण: एक ठेले का मालिक जो किसी प्रकाशक के यहाँ कागज पहुँचाता है एक अनियमित श्रमिक होता है। एक फ्रीलांश लेखक भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में आता है।
प्रश्न 16: “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।“ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: यह सही है कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। उन्हें कम मजदूरी मिलती है और प्रतिदिन अधिक घंटे काम करना पड़ता है। उन्हें छुट्टी और मेडकल बेनिफिट शायद ही मिलती है।