10 इतिहास


भारत में राष्ट्रवाद

प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव

प्रथम विश्वयुद्ध में भारत प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था, लेकिन इंगलैंड तो सीधे रूप से उस युद्ध में भाग ले रहा था। इसका असर भारत पर पड़ना स्वाभाविक था। युद्ध से होने वाले रक्षा खर्चे में हुई वृद्धि को पूरा करने के लिये इंगलैंड ने कर्ज लिये और कई टैक्स बढ़ाये। अधिक राजस्व संग्रह के उद्देश्य से सीमा शुल्क को बढ़ाया गया और आय कर को शुरु किया गया। इन सब कारणों से 1913 से 1918 के बीच अधिकतर चीजों के दाम दोगुने हो गये। कीमतें बढ़ने से आम आदमी की मुसीबतें बढ़ गई। प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने के लिए लोगों को सेना में जबरन भर्ती किया गया, जिससे ग्रामीण इलाकों में बहुत आक्रोश था।

इसी बीच भारत के कई इलाकों में खाद्द्यान्न की कमी हो गई। फिर इंफ्लूएंजा की महामारी ने समस्या को और गंभीर बना दिया। 1921 की जनगणना के अनुसार, अकाल और महामारी ने 1.2 करोड़ से 1.3 करोड़ लोगों की जान ले ली।

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटे थे। यहाँ लौटने से पहले गांधी जी ने दक्षिण अफ्रिका नस्लभेदी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। भारत आने के बाद गांधी जी ने चंपारन, खेड़ा और अहमदाबाद में कई सफल आंदोलन किये। इन आंदोलनों की सफलता से उत्साहित गांधी जी ने रॉलैट ऐक्ट के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया।

सत्याग्रह का अर्थ

महात्मा गांधी ने जनांदोलन के लिये सत्याग्रह नाम का नया तरीका इजाद किया। सत्याग्रह का मतलब है कि अगर आप सही मकसद के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं तो आपको अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिये ताकत की जरूरत नहीं होती है। गांधीजी का दृढ़ विश्वास था कि आप सत्याग्रह की मदद से अपनी लड़ाई अहिंसा के द्वारा जीत सकते हैं।

गाँधीजी द्वारा आयोजित शुरु के कुछ सत्याग्रह आंदोलन

  1. 1916 में चंपारण में किसान आंदोलन।
  2. 1917 में खेड़ा का किसान आंदोलन।
  3. 1918 में अहमदाबाद के मिल मजदूरों का आंदोलन।

रॉलैट ऐक्ट (1919):

रॉलैट ऐक्ट को इंपीरियल लेगिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 में आनन फानन में पारित किया था। यह ऐक्ट भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद पारित हो गया था। यह ऐक्ट इसलिये बनाया गया था ताकि सरकार के पास राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति मिल जाये। रॉलैट ऐक्ट के अनुसार राजनैतिक कैदियों को बिना ट्रायल के ही दो साल तक के लिये कैद किया जा सकता था।

गांधीजी ने 6 अप्रैल 1919 को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की। गांधीजी के हड़ताल के आह्वान को जनता का भारी समर्थन मिला। शहरों में लोग इसके समर्थन में सड़कों पर उतर आये, दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये। अंग्रेजी सरकार ने इस आंदोलन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का फैसला लिया। कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया। महात्मा गांधी को दिल्ली में आने से रोका गया।

जलियांवाला बाग:

अमृतसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर 10 अप्रैल 1919 को पुलिस ने गोली चलाई। लोग इससे गुस्से में आ गये और जगह-जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया। इसके जवाब में अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया, और अमृतसर की कमान जनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई।

आपको पता ही होगा कि 13 अप्रैल को पंजाब में बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। उस वर्ष भी हमेशा की तरह बैसाखी मनाई जा रही थी। जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शामिल होने के लिए गांव से काफी लोग आये हुए थे। वह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे। जनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। उस गोलीकांड में सैंकड़ो लोग मारे गये। इसके कारण उपजे क्रोध से चारों तरफ हिंसा फैल गई। महात्मा गांधी हिंसा को हर हाल में रोकना चाहते थे, इसलिये उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया।

आंदोलन के विस्तार की आवश्यकता:

रॉलैट सत्याग्रह का असर मुख्य रूप से शहरों तक ही सीमित था। लेकिन महात्मा गांधी का मानना था कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए। उनको लगता था कि ऐसा तभी संभव था जब हिंदू और मुसलमान एक मंच पर आ जाएँ।

खिलाफत आंदोलन:

खिलाफत के मुद्दे ने गांधीजी एक ऐसा अवसर दिया जिससे हिंदू और मुसलमानों को एक मंच पर लाया जा सकता था। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की कराड़ी हार होने के बाद ऑटोमन के शासक पर कड़े संधि समझौते की अफवाह फैल चुकी थी। ऑटोमन का शासक मुस्लिम समुदाय का खलीफा भी हुआ करता था। खलीफा को समर्थन देने के लिये बंबई में मार्च 1919 में एक खिलाफत कमेटी बनाई गई, जिसका नेतृत्व दो भाई (मुहम्मद अली और शौकत अली) कर रहे थे। उन्होंने गांधी जी से इस मुद्दे पर आंदोलन करने की अपील की। कांग्रेस ने 1920 में हुए कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत के समर्थन में और स्वराज के लिये एक अवज्ञा आंदोलन शुरु करने का प्रस्ताव पारित हुआ।