Panchatantra
एक नगर के बाहर एक विशाल वट वृक्ष के निकट एक मंदिर का निर्माण हो रहा था। वहां पर कई तरह के कारीगर काम कर रहे थे, जैसे कि राजमिस्त्री, बढई, लोहार, मजदूर, आदि। वट वृक्ष पर बंदरों का एक झुण्ड रहता था। हर दिन, जब कारीगर दोपहर के भोजन के लिए जाते थे, तो बंदर उस जगह पर कब्जा जमा लेते थे और वहां पड़ी चीजों से खेला करते थे।
ऐसे ही एक दिन, दोपहर में बन्दर वहां पर उत्पात मचा रहे थे। एक बन्दर लकड़ी के एक बड़े लट्ठे से खेल रहा था। लगता है कि बढ़ई ने उस लट्ठे को आधा ही काटा था और खांच में एक फन्टी फंसाकर चला गया था। वह बन्दर उस फन्टी में कुछ ज्यादा ही रूचि दिखा रहा था। अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए वह बन्दर उस फन्टी को निकालने को कोशिश कर रहा था। काफी जोर लगाने पर बन्दर ने एक झटके में उस फन्टी को खींच लिया। लेकिन ऐसा करने में उसकी कमर से नीचे का हिस्सा उस अधकटे लट्ठे की खांच में फंस गया। बहुत देर तक घनघोर पीड़ा झेलने के बाद बन्दर ने वहीं दम तोड़ दिया।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरे के काम में दखल नहीं देना चाहिए।
Copyright © excellup 2014