7 हिंदी बसंत


कंचा

टी. पद्मनाभन

इस कहानी में लेखक ने बच्चों के मनोविज्ञान का सटीक चित्रण किया है। इस कहानी का मुख्य पात्र अप्पू नाम का एक लड़का है। उसकी उम्र के अधिकतर बच्चों की तरह अप्पू को पढ़ाई की जगह खेलकूद में अधिक मन लगता है।

वह जब दुकान पर कंचों से भरी जार को देखता है तो वह कंचों की दुनिया में खो जाता है। वह अपने सपने में कंचों से भरे जार में गोते लगाता है। जब वह स्कूल पहुँचता है तो पाठ के स्थान पर उसका मन कंचों में ही उलझा रहता है।

इस बात के लिए उसे सजा भी मिलती है फिर भी वह अपने सपनों की दुनिया से बाहर नहीं निकल पाता है। उसे फीस देने के लिए जो पैसे मिले थे उन सारे पैसों से वह कंचे खरीद लेता है। दुकानदार उसकी नादानी देखकर हँस पड़ता है। फिर जब वह बिखरे हुए कंचों को सड़क पर से समेट रहा होता है तो एक कार का ड्राइवर भी उसे देखकर हँसता है। घर लौटने पर उसकी माँ उसपर नाराज तो होती है लेकिन अपना गुस्सा जाहिर नहीं करती है।

कहानी से

प्रश्न 1: कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?

उत्तर: कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब वह उन कंचों के चटख रंगों को निहारने लगता है। कंचों पर बनी लकीरें उसे बहुत भाती हैं। उसे अपनी दिवंगत छोटी बहन की याद आती है। उसके जाने के बाद उसे अब अकेले ही खेलना पड़ता है यह भी याद आता है। उसे लगता है कि कंचों के जार का आकार विशाल हो चुका है और वह उस जार के भीतर खेल रहा है। थोड़ी देर बाद दुकानदार उसे उसके सपनों से जगा देता है।

प्रश्न 2: दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।

उत्तर: दुकानदार को लगता है कि उतनी अधिक धनराशि से कोई छोटा बच्चा कंचे क्यों खरीद रहा है। फिर दुकानदार को अपना बचपन याद आता है और वह हँस देता है। ड्राइवर को उस बच्चे को बचाने के लिए अचानक ब्रेक लगाना पड़ता है इसलिए वह परेशान है। फिर उसे उस बच्चे की बालसुलभ क्रीड़ा को देखकर हँसी आ जाती है।

प्रश्न 3: ‘मास्टर जी की आवाज अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।‘ मास्टर जी की आवाज धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।

उत्तर: हर शिक्षक अपनी अनूठी शैली में पढ़ाता है। हो सकता है कि मास्टर जी को जब कोई महत्वपूर्ण बात की बारीकी समझानी होती थी तो उनकी आवाज धीमी हो जाती होगी।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1: जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कौन सी दुनिया में खोया हुआ था? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिन क्लास में रहते हुए भी क्लास से गायब रहे हों? ऐसा क्यों हुआ और आप पर उस दिन क्या गुजरी? अपने अनुभव लिखिए।

उत्तर: जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कंचों की दुनिया में खोया हुआ था। ऐसा हर किसी के साथ होता है। एक बार मैं जब क्लास में था तो पिछली रात देखे हुए सर्कस की दुनिया में खो गया था। मेरी आँखों के आगे तरह तरह के करतब दिखाते शेर, भालू, हाथी, तोते, आदि सजीव हो चुके थे। मेरे पूरे शरीर में रोमांच भरा हुआ था। तभी मास्टर जी ने कोई सवाल पूछा जिसका जवाब मैं नहीं दे पाया। उसके बाद उन्होंने मुझे दस मिनट के लिए मुर्गा बना दिया।

प्रश्न 2: आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?

उत्तर: कंचे की फीस

प्रश्न 3: गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में कुछ समानता है और कुछ अंतर। बताइए, कौन सी समानताएँ हैं और क्या-क्या अंतर हैं?

उत्तर: गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में समानता यह है कि दोनों ही खेल में लकड़ी से बने डंडे से एक गोल चीज को मारकर जितना दूर हो सके पहुँचाना होता है। गुल्ली-डंडा के लिए कम से कम दो खिलाड़ी की जरूरत होती है जबकि क्रिकेट के लिए कम से कम 22 खिलाड़ियों की जरूरत होती है। गुल्ली-डंडा को पेशेवर रूप से नहीं खेला जाता, जबकि क्रिकेट कई देशों में पेशेवर रूप से खेला जाता है।