जंगल बुक पार्ट 2

साँपों से दोस्ती

हिंदी अनुवाद

अजय आनंद

भारत के हर खंडहर में कुछ समय बीतने का बाद साँपों का डेरा अवश्य हो जाता है। वह जगह भी जहरीले नागों से भरी हुई थी। लगभग एक दर्जन साँपों की आवाज आई, हम समझ गए। हमारे फन नीचे हैं। जरा संभल के, नहीं तो तुम्हारे पैर हमें कुचल देंगे।

मोगली जितना हो सकता था उतना स्थिर खड़ा था। वह जालियों से यह देखने और सुनने की कोशिश कर रहा था कि ऊपर बघीरा के साथ क्या हो रहा था।


Jungle Scene

बंदर चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे, खों-खों कर रहे थे। उनसे बचने की कोशिश में बघीरा उलट पुलट कर रहा था और गुर्रा रहा था। उसके ऊपर बंदर गुत्थमगुत्था हो रहे थे। अपनी पूरी जिंदगी में बघीरा को शायद पहली बार ऐसी भीषण लड़ाई लड़नी पड़ रही थी।

मोगली ने सोचा, बलू भी कहीं पास ही होगा, बघीरा अकेला नहीं आया होगा। मोगली ने जोर से आवाज लगाई, टैंक की तरफ जाओ। बघीरा! टैंक कि तरफ जाओ। गुलाटी मारो और टैंक में कूद जाओ। पानी में कूद जाओ।

मोगली की आवाज सुनकर बघीरा की जान में जान आई क्योंकि उसे पता चल गया कि मोगली सुरक्षित है। इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई। बघीरा बड़ी मुश्किल से एक-एक इंच सरक रहा था। वह अपना दम साधे उस टैंक की ओर जाने की कोशिश कर रहा था। तभी चारदीवारी के बाहर से उसे बलू की ललकार सुनाई दी। बूढ़े भालू ने अपना पूरा दम लगा दिया था लेकिन वह इससे तेज नहीं चल सकता था। बलू चिल्लाया, “बघीरा, मैं आ गया। मैं दीवार पर चढ़ रहा हूँ। अरे बंदरों, शुक्र मनाओ कि ये कमजोर दीवार मेरा वजन नहीं उठा पा रही नहीं तो मैं और पहले आ गया होता।“ वह हाँफते हुए छ्ज्जे पर पहुँच गया। बंदरों के झुण्ड में बलू का केवल सिर दिख रहा था। बलू अपनी पीठ के बल धम्म से बैठ गया। फिर उसने अपने हाथ फैलाकर एक साथ कई बंदरों को अपनी छाती से लिपटा लिया। फिर दूसरे हाथ से उसने उनकी धुनाई शुरु कर दी। वह उन्हें ऐसे धुन रहा था जैसे जुलाहा कपास को धुनता है। इस बीच नीचे टैंक में से जोर से छपाक की आवाज आई। मोगली आश्वस्त हो गया था कि बघीरा टैंक में पहुँच गया है जहाँ तक बंदर नहीं पहुँच सकते। बघीरा पानी में से मुँह निकाल कर जोर-जोर से साँसें ले रहा था। बंदर किनारे की सीढ़ियों पर बैठे थे। वे गुस्से में उछल रहे थे और इस बात का इंतजार कर रहे थे कि कब बघीरा पानी से बाहर आए और वे उस पर टूट पड़ें। बघीरा को लगने लगा था कि का ने ऐन वक्त पर धोखा दे दिया। उसने अपना मुँह ऊपर उठाया और साँपों को आवाज देने लगा, हमारा और तुम्हारा एक ही खून है। बलू ने जब बघीरा को मदद की गुहार लगाते देखा तो अपनी हँसी नहीं रोक पाया।

तब तक का भी दीवार के रास्ते ऊपर पहुँच चुका था। जब वह छज्जे पर धम्म से गिरा तो उसके वजन के कारण दीवार में से एक ईंट निकलकर छपाक से टैंक में गिरी। वह बड़ी मुश्किल से ऐसी जगह पर पहुँच चुका था जहाँ से वह आसानी से आक्रमण कर सकता था। वह इस बढ़त को खोना नहीं चाहता था। उसने अपने शरीर को तरह- तरह के आकार में मोड़कर यह जाँच लिया कि सब अंग सही से काम कर रहे हैं या नहीं।